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Showing posts from February, 2020

15 फरवरी: विश्व पैंगोलिन दिवस विशेष

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अति लुप्तप्राय प्रजाति में शामिल पैंगोलिन को संरक्षण की जरूरत वैश्विक स्तर पर पैंगोलिन की संख्या में आई 50 से 80 प्रतिशत तक की कमी शरीर पर शल्क होने से ‘वज्रशल्क’ नाम से भी यह जाना जाता है विश्व में पहली बार मध्यप्रदेश में हुई है पैंगोलिन की रेडियो टेगिंग वर्ल्ड पैंगोलिन डे के रूप में मनाया जाता है फरवरी माह का तीसरा शनिवार पैंगोलिन विश्व में सर्वाधिक तस्करी की जाने वाली प्रजाति है। इसे वज्रशल्क के नाम से भी जाना जाता है। स्थानीय भाषा में इसे परतदार चींटी खोर के नाम से जाना जाता है। पैंगोलिन अपने बचाव के रूप में इस परतदार कवच का उपयोग करता है। यही सुरक्षा कवच आज उसकी विलुप्ति का कारण बन गया है। पूरे विश्व में चिंताजनक रूप से पैंगोलिन की संख्या में 50 से 80 प्रतिशत की कमी आई है। इसलिय पैंगोलिन संरक्षण के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिये विश्व पैंगोलिन दिवस फरवरी माह के तीसरे शनिवार में मनाया जाता है। इस साल यह 15 फरवरी को मनाया जा रहा है। चीन और दक्षिण एशियाई देशों में कवच और मांस की भारी मांग परम्परागत चीनी दवाईयों में इनके कवच की भारी मांग इनके शिकार का मुख्य कारण ह

हिंदी कविता के दीप्तिमान कवि प्रदीप…

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मध्यप्रदेश ने यूँ तो देश को हर क्षेत्र में सैंकड़ों महारथी दिये हैं, लेकिन कला के क्षेत्र में नायाब हीरों की एक अलग ही जमात यहां से ताल्लुक रखती है बीते दिनों जिस शख्सियत का जन्म दिन निकला है वह अमर गीतों के लेखन के लिये मशहूर हैं।हम बात कर रहे हैं रामचन्द्र नारायण द्विवेदी की, जिन्हें समूचा विश्व कवि प्रदीप के नाम से जानता ह। कवि प्रदीप का जन्म 6 फरवरी 1915 को मध्य प्रदेश में उज्जैन के बड़नगर कस्बे में हुआ था।ब्राह्मण कुल में जन्मे कवि प्रदीप की शुरुआती शिक्षा इंदौर के शिवाजी राव हाईस्कूल में हुई, जहां वेसातवीं कक्षा तक पढ़े इसके आगे की शिक्षा इलाहाबाद यानी आज के प्रयागराज के दारागंज हाईस्कूल में संपन्न हुई उन दिनों साहित्य का गढ़ कहे जाने वाले दारागंज से उन्होंने इण्टरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की उन्होंने लखनऊ विश्विद्यालय से स्नातक की शिक्षा प्राप्त कर अध्यापक प्रशिक्षण पाठ्‌यक्रम में प्रवेश लिया उत्तर प्रदेश की आबोहवा का असर ऐसा रहा कि प्रदीप विद्यार्थी जीवन से ही कवितायें लिखने और काव्य पाठ करने में रुचि लेने लगे। ‘बंधन‘ फिल्म ने दिलायी पहचान कवि प्रदीप की पहचान 1940 में

अमरकंटक नर्मदा महोत्सव की मंत्रमुग्ध करने वाली यात्रा का वृतांत

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अमरकंटक नर्मदा महोत्सव में दिन की शुरुआत मैकल पार्क में योगाभ्यास के साथ हुई। इंदिरा गांधी जनजातीय विवि के योग शिक्षकों द्वारा बड़े ही संयमित तरीके से करवाए गए योगाभ्यास ने ताजगी के साथ दिन का प्रारंभ करवाया तो नर्मदा नदी पर ट्रैकिंग के लिये मशहूर शंभुधारा, पंचधारा, कपिलधारा, कबीर चबूतरा, धोनी पानी, सोनमुड़ा ने सैलानियों को खूब रोमांचित किया। ट्रैकिंग का रोमांच अपनी जगह है, लेकिन नर्मदा मंदिर से सुबह 10 बजे मां नर्मदा को रथ में विराजमान कर निकाली गयी शोभा-यात्रा का आनंद अपनी जगह। यूं तो शोभा यात्रा में अमरकंटक का हर व्यक्ति, भक्ति भाव के साथ शामिल हुआ, लेकिन प्रदेश के मुखिया के शामिल हो जाने से शोभा यात्रा की भव्यता देखते ही बनती थी। यात्रा में अलग—अलग स्वांग धरे कलाकार अपने अनूठेपन से सभी को मोहित कर रहे थे। मन में श्रद्धा भाव रखे जनमानस की भीड़ मां नर्मदा मंदिर, उद्गम स्थल पर लगातार बढ़ रही थी। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शोभा यात्रा के बाद पवित्र नगरी अमरकंटक में मां नर्मदा के उद्गम स्थल पर पूजा-अर्चना कर प्रदेश एवं प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की। इसके बाद उन्होंने तीन दिवसीय

कला, संस्कृति के साथ समृद्धि के द्वार खोलने के साथ मध्यप्रदेश की वैश्विक साख स्थापित करेगा IIFA: कमल नाथ

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हिंदी सिनेमा की इंद्रधनुषी दुनिया को हिंदुस्तान की कला, संस्कृति, संस्कारों और साहित्य का प्रतिबिंब माना जाता है। फिल्म जगत की हस्तियों ने एक बार ये मानस बनाया कि भारत के गौरवशाली इतिहास और सुनहरे भविष्य को हर हाल में विश्वभर में रेखांकित किया जाना चाहिए, ताकि भारत की साख को दुनिया में स्थापित किया जा सके और ये महती जिम्मेदारी IIFA को सौंपी गई। नई सदी 2000 में अवार्ड की बुनियाद यूनाइटेड किंगडम के लंदन शहर में रखी गई। आयोजन इतना सफल रहा कि पूरे ब्रिटेन ने एक स्वर में भारत को कहा ‘हम दिल दे चुके सनम’ और यही वह पहली फिल्म भी थी जिसे सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार मिला। लंदन IIFA सफलता की अनुगूँज से कई देशों ने IIFA आयोजन के लिए अपनी अभिरुचि जाहिर की। दूसरा अवार्ड फंक्शन अफ्रीका के सनसिटी में आयोजित किया गया। फिर मलेशिया, सिंगापुर, नीदरलैंड, दुबई, थाईलैंड, मकाऊ, श्रीलंका, यूएस, स्पेन, थाईलैंड, अर्थात् देश दर देश भारत की ख्याति विश्वभर में फैलती गई। IIFA का सामाजिक सरोकार ब्रिटेन के यार्कशायर में रह रहे साउथ एशियन समुदाय के सामाजिक और सांस्कृतिक सरोकारों के दृष्टिगत ब्रिटेन की सरका