15 फरवरी: विश्व पैंगोलिन दिवस विशेष
अति लुप्तप्राय प्रजाति में शामिल पैंगोलिन को संरक्षण की जरूरत वैश्विक स्तर पर पैंगोलिन की संख्या में आई 50 से 80 प्रतिशत तक की कमी शरीर पर शल्क होने से ‘वज्रशल्क’ नाम से भी यह जाना जाता है विश्व में पहली बार मध्यप्रदेश में हुई है पैंगोलिन की रेडियो टेगिंग वर्ल्ड पैंगोलिन डे के रूप में मनाया जाता है फरवरी माह का तीसरा शनिवार पैंगोलिन विश्व में सर्वाधिक तस्करी की जाने वाली प्रजाति है। इसे वज्रशल्क के नाम से भी जाना जाता है। स्थानीय भाषा में इसे परतदार चींटी खोर के नाम से जाना जाता है। पैंगोलिन अपने बचाव के रूप में इस परतदार कवच का उपयोग करता है। यही सुरक्षा कवच आज उसकी विलुप्ति का कारण बन गया है। पूरे विश्व में चिंताजनक रूप से पैंगोलिन की संख्या में 50 से 80 प्रतिशत की कमी आई है। इसलिय पैंगोलिन संरक्षण के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिये विश्व पैंगोलिन दिवस फरवरी माह के तीसरे शनिवार में मनाया जाता है। इस साल यह 15 फरवरी को मनाया जा रहा है। चीन और दक्षिण एशियाई देशों में कवच और मांस की भारी मांग परम्परागत चीनी दवाईयों में इनके कवच की भारी मांग इनके शिकार का मुख्य कारण ह